
महात्मा गाँधी:-
माता- पुतलीबाई
पिता- करमचन्द गाँधी
पत्नी- कस्तूरबा गाँधी
बेटे- हरिलाल, मणिलाल, रामदास à¤"र देवदास
v 13 साल की उम्र में उनका विवाह कस्तूरबा मरवनजी से हुआ।
v प्रतिदिन करीब पैदल चलते थे यानी जिन्दगी à¤à¤° 18 किमी जितना चले उसमें पृथ्वी के दो चक्कर लग जाते।
v 5 बार नोबेल शांति पुरुस्कार के लिठनामित किया गया |
v 4 महाद्वीप, 12 मुल्कों में नागरिक अधिकारों से जुड़े आन्दोलनों का श्रेय उन्हें जाता है।
v ब्रिटेन ने उनकी मृत्यु के 21 वर्ष पश्चात उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया ।
गाधाजी के प्राराम्à¤à¤• सत्याग्रह (1917)
चंपारण सत्याग्रह:-
उस समय किसानों को à¤à¤• अनुबंध 3/20 वें (20 कट्ठा में 3 कट्ठा) à¤ाग पर नील की खेती करने के लिठबाध्य किया गया इसे तीनकठिया पद्धति कहते हैं।
किसान इससे छुटकारा चाहते थे इसके लिठराजकुमार शुक्ल ने गाँधी जी को आमंत्रित किया । तब गाँधी जी ने सत्याग्रह शुरु किया, सरकार à¤ुकी जाँच के आयोग का गठन किया गया तथा इस पद्धति को समाप्त कर वसूली का 25% हिस्सा किसानों को वापस किया गया।
गाँधी जी के कुशल नेतृत्व से प्रà¤ावित होकर रविन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी।
चंपारण सत्याग्रह:-
v सत्याग्रह की प्रेरणा गाँधी जी ने डेविड थोरो के निबंध डिसà¤"बिडीà¤à¤¨्स से ली थी
v गांधी जी ने सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग दक्षिण अफ्रीका में किया था।
v 9 जनवरी 1915, गाँधी जी द. अफ्रीका से à¤ारत आये राजनीतिक गुरु-गाँधी जी के गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे
à¤ारत में प्रथम सत्याग्रहः-
चम्पारण (विहार)
v गोखले जी की सलाह पर (1915-1916) 2 वर्ष गाँधी जी ने à¤ारत à¤्रमण किया।
v उसके बाद 1917-1918 के बीच तीन प्रारम्à¤िक आन्दोलनों का नेतृत्व किया।
चम्पारण सत्यागृह के बाद:-
खेड़ा सत्याग्रह:-
1918 ई० में गुजरात के खेड़ा जिले में à¤ीषण अकाल पड़ा। बावजूद इसके सरकार ने मालगुजारी प्रक्रिया बन्द नहीं की अपितु 23% à¤"र वसूली बढ़ा दी। जबकि राजस्व व्यवस्था के अनुसार यदि फसल का उत्पादन कुल उत्पादन के 1/4 से कम हो तो किसानों का कर्ज पूरी तरह माफ कर देना चाहिà¤।
इस पर गांधी जी ने घोषणा की यदि सरकार गरीब किसानों का कर्ज माफ कर दे तो सक्षम किसान स्वयं कर दे देगें।
सरकार ने गुप्त रूप से अपने अधिकारियों से कहा कि जो किसान सक्षम हैं उन्हीं से कर लिया जाये।
अहमदाबाद मिल हड़ताल (1918):-
यह आन्दोलन à¤ारतीय कपड़ा मिल मालिकों के विरोध में था। यहाँ पर मजदूरों के बोनस को लेकर गाँधी जी ने à¤ूख हड़ताल करने को कहा तथा स्वयं à¤ी à¤ूख हड़ताल की। यह उनकी पहली à¤ूख हड़ताल थी। इसके फलस्वरुप मिल मालिक समà¤ौते को तैयार हो गये। इस मामले की à¤à¤• ट्रिब्यूनल को सौंपा गया जिसने मजदूरों का पक्ष लेते हुठ35% बोनस देने का फैसला सुनाया।
खिलाफत आन्दोलन (1919-1924):-
उददेश्य:- तुर्की में खलीफा के पद की पुनः स्थापना करने के लिठअंग्रेजों पर दबाब बनाना ।
रोलेट बिल, जलियांवाला बाग के फलस्वरुप अखिल à¤ारतीय खिलाफत कमेटी ने खिलाफत आन्दोलन का संगठन किया । गांधी जी के प्रà¤ाव से खिलाफत तथा असहयोग आन्दोलन à¤à¤•मत हो गये।
खलीफा पद की समाप्ति:-
राष्ट्रीयतावादी मुस्तफा कमाल ने 3 मार्च 1924 को समाप्त कर दिया ।
कारण:- गाँधी जी धर्म के ऊपरी आवरण को दरकिनार
न करते हुठहिन्दू मुस्लिम à¤à¤•ता के आधार को पहचाना उनके बीच आपसी à¤à¤—ड़ा था लेकिन सà¤्यता मूलक à¤à¤•ता à¤ी थी।
असहयोग आन्दोलन (1920):-
श्री चिमनलाल सितलबाड के अनुसार-
"वायसराय लॉर्ड राडिंग कुर्सी पर हताश बैठगया à¤"र अपने दोनो हाथों सिर थामकर फूट पड़ा।"
इस आन्दोलन ने ब्रिटिश राज्य की जड़ों पर प्रहार किया।
उद्देश्य:- ब्रिटिश à¤ारत की राजनीतिक आर्थिक तथा सामजिक संस्था का बहिष्कार करना à¤"र शासन की मशीनरी को बिल्कुल ठप्प करना। आरम्à¤:- 1920 में राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन से।
असहयोग आन्दोलन को सफल बनाने हेतु किये गये प्रयास:-
v सरकारी उपाधिया, वैतनिक तथा अवैतनिक पदों का त्याग |
v सरकारी उत्सवों अथता दरबारों में सम्मिलित न होना ।
v सरकारी à¤à¤µं अर्द्धसरकारी स्कूलों का त्याग ।
v 919 के अधिनियम के अंतर्गत होने वाले चुनावों का बहिष्कार ।
v सरकारी अदालतों का बहिष्कार
v विदेशी माल का बहिष्कार
आन्दोलन समाप्ति à¤à¤µं उसका कारण:- गाँधी जी ने कहा था आन्दोलन पूरी तरह अहिंसक होना चाहिठकिन्तु फरवरी 1922 में चौरी-चौरा काण्ठकी वजह से इसे स्थगित कर दिया गया |
चौरी चौरा कांड:-
चौरी चौरा, उत्तर प्रदेश में (4 फरवरी 1922) गोरखपुर के पास à¤à¤• कस्बा है।
यहाँ 4 फरवरी 1922 में à¤ारतीय आन्दोलनकारियों ने ब्रिटिश सरकार की à¤à¤• पुलिस चौकी को आग लगा दी जिससे उसमें छुपे हुठ22 पुलिस कर्मी जिन्दा जला कर गये । इस घटना को चौरी चौरा कांड के नाम से जाना जाता है।
असहयोग आन्दोलन के पश्चात:-
नेहरू रिपोर्ट (1928):-
लार्ड बर्कनहेड (à¤ारत सचिव) ने राष्ट्र नेतृत्व को à¤à¤• à¤à¤¸ा संविधान बनाने की चुनौती थी जिसे सà¤ी स्वीकार करें।
v 1927 के मद्रास अधिवेशन में यह तय किया गया कि अन्य राजनीतिक दलों की सहमति से संविधान का मसौदा बनाया जाये।
v 19 मई 1928 को अ. अंसारी की अध्यक्षता में सम्मेलन हुआ इसमें मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में à¤à¤• समिति गठित की गयी जिसे संविधान का मसौदा तैयार करने का कार्य सौंपा।
v नेहरु समिति ने 28 अगस्त 1928 को अपनी रिपोर्ट सौंपी इसे लखनऊ में आयोजित सà¤ा में स्वीकार कर लिया गया।
नेहरू समिति रिपोर्ट की सिफ़ारिशें:-
v à¤ारत को डोमिनियन स्टेट का दर्जा दिया जाये।
v साम्प्रदायिक निर्वाचन प्रणाली की समाप्त किया जाये।
v संयुक्त निर्वाचन प्रणाली अपनायी जाये|
v à¤ाषायी आधार प्रान्तों का गठन हो।
v à¤ारत में धर्म निरपेक्ष राज्य होगा किन्तु अल्पसंख्यकों के धार्मिक à¤à¤µं सांस्कृतिक हितों का पूर्ण संरक्षण होगा।
v केन्द्र à¤à¤µं प्रान्त में संघीय आधार पर शक्ति विà¤ाजन।
v à¤ारत में उच्चतम न्यायालय की स्थापना।
v संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना।
साइमन कमीशन:-
1919 के à¤ारत शासन अधिनियम की समीक्षा के लिठइस आयोग का गठन 1927 में किया गया ।
अध्यक्ष- सर जान साइमन थे ।
विरोध का कारण:- इस आयोग मे रक à¤ी à¤ारतीय
नही था इसलिठà¤ारतीयों को लगता था कि इसकी रिपोर्ट में पक्षपात होगा à¤"र अंग्रेजों के हितों का ध्यान रखा जायेगा।
बहिष्कार का निर्णय:-
काँग्रेस के मद्रास अधिवेशन (1927) में à¤à¤®. à¤. अंसारी की अध्यक्षता में।
à¤ारत आगमन:-
3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन (बम्बई) à¤ारत पहुंचा|
साइमन कमीशन से जुड़े कुछ तथ्य:-
v जब लाहौर लाठी चार्ज में लाला लाजपत राय घायल हुठतो उन्होने कहा:- "मेरे ऊपर लाठियों से किया à¤à¤•-à¤à¤• वार अंग्रेज शासन की ताबूत की आखिरी कील साबित होगी |"
v 1928 से 1929 के बीच कमीशन दो बार à¤ारत आया à¤"र मई 1930 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिस पर लन्दन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन पर विचार होना था |
साइमन कमीशन की प्रमुख सिफारिशें:-
v प्रान्तो में द्वैध शासन ख़त्म हो |
v अखिल à¤ारतीय संघ के विचारों को ना माना जाठ|
v वर्मा को ब्रिटिश à¤ारत से अलग किया जाà¤, उसका अलग संविधान हो |
दांडी मार्च (नमक सत्याग्रह):-
गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से 78 अनुयायियों के साथ 24 दिनों की पद यात्रा की व 5 अप्रैल को दांडी पहुँचकर 6 अप्रैल को नमक का कानून तोड़ा।
सुà¤ाष चन्द्र बोष ने इसकी तुलना नेपोलियन के पेरिस मार्च व मुसोलिन के रोम मार्च से की।
धरसना में नमक सत्याग्रह का नेतृत्व सरोजिनी नायडू, इमाम साहब मणिलाल (गांधी जी के बेटे) ने किया ।
उत्तर पूर्व में:- इस आन्दोलन का नेतृत्व 13 वर्षीय नागा महिला ने किया जवाहर लाल नेहरू ने इन्हें "रानी" की उपाधि दी |
"इन्हें नागालैण्ड की जॉन à¤'फ आर्क à¤ी कहा जाता है।"
गोलमेज सम्मेल:-
साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार विमर्श के लिठ1930 में लन्दन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन हुआ।
सदस्य- 89 सदस्यों ने à¤ाग लिया किन्तु काँग्रेस ने नहीं।
गांधी इरविन समà¤ौता:-
ब्रिटिश राजनीतिज्ञ काँग्रेस व गांधी जी का साथ चाहते थे इसी के चलते गांधी जी à¤"र वायसराय के बीच (वायसराय-इरविन) समà¤ौता हुआ |
गांधी इरविन समà¤ौते का उद्देश्य:-
इसके तहत कांग्रेस की à¤"र से द्वितीय गोल मेज सम्मेलन में à¤ाग लेने तथा सविनय अवज्ञा आन्दोलन में चल बन्द करने की बात मान ली गयी।
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन:-
1931 में हुआ जिसमें गांधी जी ने कांग्रेस के सदस्य के रूप में à¤ाग लिया लेकिन सांप्रदायिक समस्या के विवाद के कारण असफल रहा|
सविनय अवज्ञा आन्दोलन 1930, 6 अप्रैल:-
विवरण- ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध à¤ारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस à¤à¤µं मुख्य रुप से गांधी जी के नेतृत्व में चलाया गया
कारण:- यंग इंडिया (समाचार पत्र) में लेख द्वारा सरकार
से 11 सूत्री मांगे की à¤"र उनके माँगे जाने पर सत्याग्रह की चर्चा बंद करने को कहा व 31 जनवरी 1930 तक का समय दिया।
सरकार ने मांगे नहीं मानी तब सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया गया|
प्रमुख कार्यक्रम:-
नमक कानून तोड़ना, कर à¤ुगतान न करना , विदेशी बहिष्कार, सरकारी सेवाà¤"ं का त्याग आदि।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के उद्देश्य:-
कुछ बिशिष्ट प्रकार के गैर कानूनी कार्य सामूहिक रूप से करके ब्रिटिश सरकार को à¤ुका देना ।
प्रà¤ाव:- ब्रिटिश सरकार ने आन्दोलन को दबाने के लिठसख्त कदम उठाये à¤"र गांधी जी समेत अनेक नेताà¤"ं को जेल में डाल दिया।
à¤ारत छोड़ो आन्दोलन 9 अगस्त 1942:-
विवरण:- à¤ारत को जल्दी आजादी दिलाने के लिठमहात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजी शासन के विरुद्ध à¤à¤• बड़ा फैसला था।
मूलमंत्र:- "करो या मरो "
परिणाम:-
यह आन्दोलन à¤ारत को स्वतन्त्र à¤à¤²े न करवा पाया हो लेकिन इसका दूरगामी सुखदायी रहा। इसलिठइसे-
"à¤ारत की स्वाधीनता के लिठकिया जाने वाला अन्तिम महा प्रयास" कहा गया।
माउण्टबेटेन की घोषणा:- लार्ड बावेल के स्थान पर लार्ड माउण्टबेटन को फरवरी 1947 में à¤ारत का वायसराय नियुक्त किया गया तब उसने à¤à¤²ान कर दिया कि ब्रिटिश à¤ारत को स्वतंत्रता दे दी जायेगी लेकिन उसका विà¤ाजन à¤ी होगा।
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